Avinash dqb266
International Baccalaureate
Sharad Pawar International School Pune, India.
Extended Essay in Hindi (विस्तृत निबंध)
Topic (विषय) - काल यात्रा
शैक्षणिक सत्र – मई २०१२
विधार्थी का नाम – अविनाश सुमन
विधार्थी का क्रमांक – DQB266
शक्षणिक संख्या – 002885045 (००२८८५०४५)
काल यात्रा.
समय में आगे या पीछे जाने कि संकल्पना को काल यात्रा कहते है और मै इसके बारे में इसलिया लिख रहा हू ताकि में जनों को इसके होने के सम्भावना से वाखिफ कर सकू क्यों कि यह एक ऐसा विधान है जिसके बारे मे आम लोगो के पास बहुत ही काम जानकारी है.वैसे तो एक ज़माने में काल यात्रा वैज्ञानिको की सनक मानी जाती थी लेकिन अगर मेरे पास एक टाइम मशीन होता तो में आदि मानव से मिलने जाता या उस दौर में जाता जब दुनिया बनी थी. तब शायद मै ब्रहमांड के एक छोर पर जा कर यह भी देख सकू की हमारी सम्पूर्ण अंतरिक्ष की कथा का अंत कैसे होगा. लेकिन हमें इसके होने के संभावना को देखने के लिए एक भौतिक वैज्ञानिक के नजरिये से देखना होगा. यह काम उतना भी मुश्किल भी नहीं है जितना लगता है. हर वास्तु भले ही मेरे यह कुर्सी ही क्यों ना हो. हर चीज़ की चौड़ाई,लम्बाई और ऊचाई भी होती है. लेकिन इसके इलावा एक लम्बाई और भी होती है ‘काल की लम्बाई’ और काल यात्रा का मतलब यह है की उस चौथे आयाम के पास जाना.
इसे समझने के लिए हम एक कार का उदाहरण ले सकते है अगर हम एक कार को सीधे रास्ते में तेज रफ़्तार से चलाए तो हम एक आयाम में सफर कर रहे होंगे. दाए या बाए मुड़ने पर एक आयाम और जुड़ जाता है लेकिन हम जब पहाड़ी सडको पर उपर नीचे जाते है तो ऊचाई भी जुड़ जाती है और हमें हमारा तीसरा आयाम मिल जाता है.लेकिन पृथ्वी पर हम काल यात्रा कैसे कर सकते है. हम उस चौथे आयाम में जाने का रास्ता कैसे ढूढेगे.
टाइम ट्रेवल वाले फिल्मो में अकसर एक विशाल मशीन होती है जो ऊर्जा पीती है और यह मशीन चौथे आयाम में एक रास्ता बना देती है जिससे हम काल में एक सुरंग की मदद से काल यात्रा कर सकते हैं . यह राय दूर की कौड़ी भले ही लगे लेकिन सच शायद इससे अलग हो पर ऐसा कर पाना नामुमकिन नहीं है. भौतिक विज्ञानिक काल में सुरंग बनाने की सो़च रहे थे लेकिन हम काल यात्रा के बारे में एक अलग नज़रिए से सो़च रहे है. हम यह जानना चाहते है की क्या हम आपने अतीत या भविष्य में जाने के लिय कुदरत के नियमों के आधार पर एक रास्ता बना सकते है और तलाश करने पे पता लगा कि वो पहले से ही मोजूद है इतना ही नहीं हमने तो उन्हें एक नाम भी दे रखा है ‘वोर्म होल’. सच तो यह है की चारो ओर वोर्म होल है लेकिन वो इतने छोटे है की वो सामने नज़र नहीं आते. वो काल और अंतराल के चप्पे चप्पे पर मोजूद है. आपको यह बात शायद अटपटी लग रही होगी लेकिन कोई भी चीज़ न तो समतल है ना हीं ठोस. अगर आप ध्यान से देखे तो आपको हर चीज़ में दरार,सुराख़ या झुर्रिय नज़र आयगी यह भौतिकी का एक आम सिद्धांत है जो काल पर भी लागू होता है जैसे एक पूल टेबल की सतह पूरी समतल और सपाट लगती है लेकिन अगर हम ध्यान से देखे तो हमको सच का अंदाज़ा हो जायेगा की इनमे अनगिनत सुराख़ और दरारे है. यहाँ तक की सबसे चिकने चीज़ में भी दरारे और झुरिया है. पहले तीन आयामों में तो मेने आपको यह बड़ी आसानी से समझा दिया लेकिन यकीन किज़ए चौथी आयाम में भी यह बात बिलकुल सही है. काल में भी छोटी छोटी दरारे और गड्ढे है. अगर हम बहुत छोटे पयमाने पर बात करे मेरा मतलब अनु और परमाणु से भी छोटे पेमाने पर तो हमें वहा वो मिलेगा जिसे हम कहते है ‘कुआन्टम फोर्स’ और यही वह जगह है जहा वोर्म होल होते है और वो काल और अंतराल के बीच आने जाने के छोटे छोटे रास्ते बनते और बंद करते रहते है. वह इस कुआन्टूम जगत में मौजूद रहते है. असल में यह दो अलग अलग जगहो को और दो अलग अलग काल को जोड़ते है.
लेकिन अफसोस की बात यह है की यह वास्तविक सुरंगे एक सेंटीमीटर के एक अरब खरबे हिस्से जितनी चौड़ी होती है और इससे से कोई भी नहीं गुजर सकता लेकिन यह वोर्म होल एक टाइम मशीन का एक आधार बन सकता है. कुछ वैज्ञानिक मानते है की इनमे से ही एक को खरब गुणे बड़ा बना दिया जाये की इससे कोई इंसान या अंतरिक्ष यान जा सके. अगर हमारे पास ऐसी टेक्नोलोजी हो और हमें ज़रूरत भर कि उर्जा मिल जाये तो शायद हम अंतरिक्ष के एक विशाल वोर्म होल को बड़ा कर एक ही जगह पर रखे और उनके बीच फासला अंतराल के बजाय काल का हो तो उससे हो कर हमारा यान पृथ्वी के करीब ही आयगा जायेगा लेकिन उसका सफर हमारे अतीत में ही होगा. हो सकता है की हमारा यान डायांनासोर की जमाने में पहुच जाए ठीक उनके सामने. लेकिन मुझे लगता है चारो आयामों को सो़च पाना मुश्किल है और वोर्म होल इतनी आसान चीज़ भी नहीं है की हम अपना सर खपा सके.